Health Tips: आंख फड़कना शुभ-अशुभ का संकेत है या कोई गंभीर बीमारी है? यहां जानिए

<p style="text-align: justify;"><strong>Health Tips in Hindi:</strong> हमारे शरीर का हर एक अंग बेहद महत्वपूर्ण हैं. खासकर उससे होने वाली छोटी-छोटी एक्टिविटी भी. वहीं कई देशों में शारीरिक अंगों में होने वाली हर गतिविधि के कई अन्य अर्थ भी निकाले जाते हैं. जैसे हमारी आंखों का फड़कना. यह प्रकिया भी इन्हीं में से एक है. ऐसा माना जाता है कि दाएं और बाएं आंख का फड़कना शुभ और अशुभ का संकेत देती हैं. लड़का और लड़की के मामले में भी इनके अलग मतलब निकाले जाते हैं. मतलब लड़के की दाईं आंख फड़कना शुभ और लड़की की अशुभ मानी जाती है. उसी तरह लड़के की बाईं आंख फड़कना अशुभ और लड़की की शुभ मानी जाती है.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><a title="Omicron Effect: कोरोना से रिकवरी के बाद हार्ट और लंग्स को बनाएं मजबूत, घर पर करें चेस्ट फिजियोथेरेपी की ये सिंपल एक्सरसाइज" href="https://ift.tt/3g2PBky" target="_blank" rel="noopener"><strong>Omicron Effect: कोरोना से रिकवरी के बाद हार्ट और लंग्स को बनाएं मजबूत, घर पर करें चेस्ट फिजियोथेरेपी की ये सिंपल एक्सरसाइज</strong></a></p> <p style="text-align: justify;">ये तो बात हुई मान्यता के नजरिए से. मगर क्या आपने कभी इसके वास्तविक कारण को समझने की कोशिश की है? अगर नहीं तो आज जान लीजिए. इससे पहले आप इस बात पर ध्यान दें कि इंसान की आंख फड़कना नेचुरल है. मगर, कभी-कभी यह बीमारी भी होती है. जी हां, इसमें आपको डॉक्टर से जांच कराने की भी जरूरत पड़ सकती है. आइए जानते हैं कि आखिर डॉक्टर के पास जाने की जरूरत कब पड़ती है. इसे हम मेडिकल की परिभाषा में तीन तरीके से समझेंगे क्योंकि, इसकी तीन अलग-अलग स्थिति होती हैं.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><a title="Hypertension: कोरोना में हाइपरटेंशन के मरीज को है ज्यादा खतरा, जानिए कैसे करें इस बीमारी को कंट्रोल?" href="https://ift.tt/3KUzi7u" target="_blank" rel="noopener"><strong>Hypertension: कोरोना में हाइपरटेंशन के मरीज को है ज्यादा खतरा, जानिए कैसे करें इस बीमारी को कंट्रोल?</strong></a></p> <p style="text-align: justify;">दरअसल, पलक की मांसपेशियों में ऐंठन की वजह से किसी इंसान की आंख तीन स्थिति में फड़कती है. पहला ये मायोकेमिया मांशपेशियों की सामान्य सिकुड़न के कारण होता है, जिससे आंख की नीचे वाली पलक पर असर पड़ता है. इसके बाद बेहद गंभीर कंडीशन होती है, जिसे ब्लेफेरोस्पाज्म और हेमीफेशियलस्पाज्म कहा जाता है. तीसरी स्टेज में ब्रेन या नर्व डिसऑर्डर की प्रॉब्लम होती है. नॉर्मल डाइट और रूटीन का भी आपकी आंखों पर असर पड़ता है. ऐसे में अपनी डाइट का ध्यान रखें.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.</strong></p>

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