Munshi Premchand Jayanti: संकीर्ण राष्ट्रवाद को वर्तमान युग का कोढ़ समझते थे प्रेमचंद, रहस्य, रोमांच और तिलिस्म पर नहीं हमेशा समाज के सियाह पक्ष पर लिखा

Munshi Premchand Jayanti: संकीर्ण राष्ट्रवाद को वर्तमान युग का कोढ़ समझते थे प्रेमचंद, रहस्य, रोमांच और तिलिस्म पर नहीं हमेशा समाज के सियाह पक्ष पर लिखा

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